Tuesday, August 14, 2012

अनूपपुर में लोकविद्या जन आन्दोलन

लोकविद्या जन आन्दोलन ने अब लगभग चार महीनों से पूर्वी मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में संपर्क का विस्तार शुरू किया है। मोज़र बेयर  कंपनी और मध्य प्रदेश सरकार  द्वारा किसानों की ज़मीन ज़बरदस्ती अधिग्रहित करने के विरोध के किसान आन्दोलन में शामिल होने 30-31 मई को हमारा एक समूह वहां गया था। उसके पहले वाराणसी से दिलीप कुमार 'दिली' वहां तैयारी  में जा चुके थे और उन्होंने जैतहरी (मोज़र बेयर बिजली कारखाने का गाँव) और नजदीक के कई गाँवों में संपर्क किया था। 31 मई को अनूपपुर शहर में एक बैठक में यह तय हुआ कि 8 जुलाई 2012 को अनूपपुर में 29-30 सितम्बर के मध्य प्रदेश के सिंगरौली सम्मलेन की तैयारी में एक बैठक की जाये।
8 जुलाई की इस बैठक में अनूपपुर के कम्युनिटी हाल में दोपहर 1.00 से 5.00 बजे के बीच 20 कार्यकर्ताओं की खुली चर्चा हुई। वाराणसी से दिलीप कुमार 'दिली' और सिंगरौली से अवधेश भाई इस बैठक में शामिल हुए। विषय की प्रस्थापना करते हुए दिलीप भाई ने तीन बिन्दु रखे--

  1. लोकविद्या के आधार पर सबको पक्की नौकरी हो और सरकारी कर्मचारी के बराबर वेतन हो।
  2. किसी भी प्रोजेक्ट पर होने वाले खर्च के बराबर पैसा प्रभावित क्षेत्र की संरक्षा के लिए आवंटित हो, जिसके नियोजन और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी स्थानीय संगठनों, समितियों, समूहों और पंचायतों को दी जाये.
  3. राष्ट्रीय संसाधनों का बराबर का बंटवारा हो. बिजली वितरण की नीति पहले बने  और उसके बाद बिजली उत्पादन की नीति बने। 
उपस्थित कार्यकर्ताओं ने दिलीप जी की बात से सहमति व्यक्त करते हुए अपनी-अपनी बात कही। लगभग सभी ने लोकविद्या आधारित समाज और उच्च शिक्षित समाज के बीच विषमता को रेखांकित किया और इस बात पर भी जोर दिया कि लोकविद्या आधारित ज्ञान की प्रतिष्ठा में ही इस समाज का उद्धार है और तभी एक बराबरी का समाज भी बन सकता है। स्थानीय समाजों और उनके संगठनों के महत्व को उजागर किया गया। अवधेश भाई ने अपने वक्तव्य में लोकविद्या जन आन्दोलन को आगे बढ़ाने के लिए सबका आवाहन किया. नतीजे स्वरुप उपस्थित लोगों ने स्वयं आगे बढ़ कर अपने-अपने नाम शामिल कराकर एक अनूपपुर लोकविद्या जन आन्दोलन समिति का गठन किया। इस समिति में श्री गणेश शर्मा, गोविन्द श्रीवास्तव, अनंत जौहरी, अरुण सिंह, संजय विश्वास, सहस राम  यादव, शशि बहन, कमलेश चन्द्र, मोहन उपाध्याय, शेष नारायण सिंह, शंकर लाल पटेल, राम शरण पटेल, अशोक कुमार पटेल, अनिरुद्ध सिंह, अमोल सिंह शामिल हैं। 

इस प्रक्रिया के अलावा अनूपपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में दिलीप भाई ने कई गांवों में संपर्क और वार्ताएं की हैं। कुछ गांवों में लोकविद्या आश्रम बनाने की बात शुरू हो गयी है। क्योंटार गाँव के कबीरपंथी कोलई  दास  सोन  नदी के तट पर अपनी ज़मीन पर एक लोकविद्या आश्रम बनाना चाहते हैं। उसी गाँव के नर्वदा प्रसाद भी कबीर पंथी हैं, एक माहिर राज मिस्त्री हैं और लोकविद्या में रूचि के साथ काम  करने को उत्सुक हैं।  कोलई दास के साथ लोकविद्या आश्रम निर्माण में ये भी साथ रहेंगे. अमरकंटक के रास्ते पर राजेंद्र ग्राम के पास महोरा गाँव के आजू राम पनिका के यहाँ दिलीप भाई एक दिन रहे. उनसे और उनकी श्रीमती जी से उनकी विस्तृत वार्ता हुई। ये दोनों अपने गाँव में लोकविद्या आश्रम बनाने को उत्सुक हैं। 
  
सितम्बर के मध्य में दिलीप भाई फिर से इस क्षेत्र का दौरा करेंगे तथा लोकविद्या जन आन्दोलन व लोकविद्या आश्रमों के निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ाएंगे। 

विद्या आश्रम 

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