Thursday, October 17, 2013

लोकविद्या सत्संग


विद्या आश्रम से लोकविद्या सत्संग का अभियान अब सक्रिय तौर पर शुरू किया गया है. कई वर्षों पहले आश्रम से लोकविद्या सत्संग शुरू किये गये थे। वाराणसी में गंगाजी के घाटों पर और विशेष अवसरों पर प्रयाग में संगम पर लोकविद्या सत्संग के नाम से गायन और वार्ता के कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे. पिछले साल इन्दौर के क्षेत्र में वहां के लोकविद्या समन्वय समूह ने कई ऐसे कार्यक्रम आयोजित किये जो मुख्य रूप से कबीर की गायकी पर आधारित थे। गाँव-गाँव से मंडलियाँ शामिल होती थीं और रात-रात भर भी कार्यक्रम हुए, गाँवों में हुए और कारीगर बस्तियों में हुए। 
अब विद्या आश्रम ने लोकविद्या सत्संग के नाम से एक पुस्तिका तैयार की है. यह लोकविद्या जन आंदोलन पुस्तकमाला की पांचवीं कड़ी है। इसमें कबीर के पदों का लोकविद्या संस्करण जैसा बनाया गया है. आश्रम इन पदों को गाने वालों का एक समूह बना रहा है। लोकविद्या आश्रमों में, भाईचारा विद्यालयों से, ज्ञान पंचायतों में और सम्मेलनों तथा संघर्ष व आंदोलन के स्थानों पर इन पदों की गायकी और समसामयिक चर्चा के साथ लोकविद्या सत्संग किये जायेंगे. पुस्तिका विद्या आश्रम की वेब साइट पर है और लिंक भी नीचे दिया जा रहा है.  
       


विद्या आश्रम 

No comments:

Post a Comment