Monday, October 31, 2016

रिपोर्ट : किसान कारीगर महापंचायत, 16 अक्टूबर 2016, वाराणसी



    16 अक्टूबर 2016 शरद पूर्णिमा के दिन देश के विभिन्न हिस्सों से सैंकड़ों की संख्या में आये किसानों, कारीगरों और उनके संगठनों ने वाराणसी में गंगाजी के किनारे भैंसासुर घाट, राजघाट पर महापंचायत की, और सीधे सीधे यह दावा किया कि किसानों और कारीगरों का ज्ञान पढ़े-लिखे लोगों से कम नहीं होता और इसलिए 'हर किसान और कारीगर के परिवार की आय सरकारी कर्मचारी के बराबर होनी चाहिये और उसके जैसी नियमित और पक्की होनी चाहिये।' देश की सभी सरकारों की यह ज़िम्मेदारी है कि वे इसके लिए नीति बनायें और उन्हें लागू करें। सबकी खुशहाली का रास्ता इसी में है। यह महापंचायत ये ऐलान करती है कि देश के किसान और कारीगर संगठन मिलकर इसके लिये सरकारों से संवाद करने के लिए एकजुट होंगे। 
      इस आयोजन के ठीक एक दिन पहले बगल में ही राजघाट के पुल पर भगदड़ के चलते बड़ी दुर्घटना हो गयी और जयगुरुदेव के अनुयायियों में महिलाओं बच्चों समेत 25 से भी अधिक लोग अपनी जान गवां बैठे। इसलिए महापंचायत के दिन इस क्षेत्र में बड़ा पुलिसिया बंदोबस्त था जिसके चलते  लोग महापंचायत  तक नहीं पहुँच सके।  महापंचायत को भी पुलिस  प्रशासन ने केवल दो घंटे का समय दिया। इसलिए कई लोगों को बोलने का मौका भी नहीं दिया जा सका। महापंचायत ने शुरू में ही एक दिन पहले हुए हादसे और उसमें हुई मौतों के प्रति अपनी गहरी संवेदना और शोक व्यक्त किया।  तदुपरांत लोकविद्या सत्संग के साथ महापंचायत की शुरुआत हुई।  
इंदौर से आई निर्मला देवरे महापंचायत में अपनी बात रखती हुई। 
     भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष लक्ष्मण प्रसाद और वाराणसी मंडल अध्यक्ष दिलीप कुमार 'दिली' तथा  कारीगर नजरिया के एहसान अली और प्रेमलता सिंह आयोजकों में प्रमुख रहे।  इन लोगों ने महापंचायत के सामने प्रमुख मांग के वैचारिक आधार को रखा और कैसे यह व्यावहारिक है, यह भी समझाया। उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों से, बस्ती , बलरामपुर, श्रावस्ती, मऊ, आजमगढ़, बलिया, प्रतापगढ़, जौनपुर, चंदौली, ग़ाज़ीपुर, मिर्ज़ापुर, सोनभद्र, आदि ज़िलों से अच्छी भागीदारी रही। पटना से एक समूह ने भागीदारी की। भागीदारों ने किसानों और कारीगरों की अंतहीन व्यथा बताई और सरकारों की उदासीनता पर रोष व्यक्त किया। मांग के समर्थन में सभी ने अपने अपने तरीके से तर्क दिये। महिलाओं ने कविता और गीतों के मार्फ़त भी अपनी बात कही।  
    इस आवाज़ को बुलंद करने के लिए इस महापंचायत में कर्णाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, बंगालमध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसान और कारीगर संगठनों सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय नेता चौधरी दीवानचंद और सुरेश यादव, महाराष्ट्र के शेतकरी संघटना के पूर्व अध्यक्ष विजय जावंधिया और प्रकाश पोहरे, लोकविद्या जन आंदोलन के तेलंगाना के डॉबीकृष्णराजुलु, कर्णाटक के डॉ. जे. केसुरेश, महाराष्ट्र के डॉगिरीश सहस्रबुद्धे, मध्य प्रदेश के संजीव दाजी, कोलकाता के जीतेन नंदी, ये सभी अपने सहयोगियों के साथ विशेषतौर पर इस मांग को समर्थन देने के लिये शामिल हुए। इंदौर से लगभग 70 व्यक्तियों का दल भाग लेने संजीव दाजी के साथ आया। उन्होंने ऐलान किया कि इसी वर्ष दिसंबर में इंदौर में किसान कारीगर पंचायत का आयोजन किया जायेगा। 
 बुनकर कल्याण संघर्ष समिति की ओर से 
हाजी रहमतुल्ला महापंचायत को संबोधित करते हुए। 
    सञ्चालन लोकविद्या जन आंदोलन के दिलीप कुमार 'दिली' और भारतीय किसान यूनियन के लक्ष्मण प्रसाद ने किया। कारीगर समाज की तरफ से वाराणसी के प्रेमलता जी, एहसान भाईहाजी रहमतुल्ला, मुन्नू रावत आदि ने बात रखी। लोकविद्या जन आंदोलन की डॉचित्रा सहस्रबुद्धे ने सबकी बराबर आय की लोकविद्या दर्शन से व्याख्या की और कहा कि यही दर्शन है जो देश की जनता को खुशहाली की ओर ले जा सकता है। पंचायत में यह फैसला हुआ कि यह महापंचायत सभी सरकारों से संवाद बनाने के लिए ऐसी पंचायतों का सिलसिला ज़ारी रखेगी। देश के हर हिस्से में ये पंचायतें होंगी जिनमें किसान-कारीगर समाज के हर घर में सरकारी कर्मचारी के बराबर आय का दावा रखेंगी।
      इस महापंचायत के  लिये एक लगभग 60 सदस्यों की आयोजन समिति का गठन किया गया जिसमें किसान और कारीगर संगठन  तथा सामाजिक कार्यकर्त्ता शामिल रहे।  

महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता चौधरी दीवानचंद। 
महापंचायत के फ़ैसले 

1) यह किसान - कारीगर महापंचायत सर्व सम्मति से यह तय करती है कि हर किसान और कारीगर   परिवार में सरकारी कर्मचारी के बराबर आय हो यह जिम्मेदारी सरकार की है। यही इस महापंचायत की   प्रमुख मांग है।
2) यह महापंचायत सभी किसान और कारीगर संगठनों से अपील करती है कि इस मांग को पूरा कराने के लिए जनमत तैयार करें और समर्थन जुटायें। 
3) हर राज्य में इसी मुद्दे पर किसान - कारीगर पंचायत का आयोजन हो। इन पंचायतों के आयोजन के लिए  राज्य स्तरीय आयोजन समितियाँ बनें। 
4 ) एक साल बाद फिर से उपरोक्त फैसलों के सन्दर्भ में किसान कारीगर महापंचायत का आयोजन किया जायेगा। 






कारीगर नजरिया वाराणसी की प्रेमलता सिंह 

विद्या आश्रम 

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